शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ। पांचवें चरण का चुनाव अवध व बुंदेलखंड की 14 सीटों पर होना है। इसके लिए वोट 20 मई को डाले जाएंगे। वर्ष 2019 के चुनाव में इसमें से 13 सीटें भाजपा व एक कांग्रेस ने जीती थी। पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में सपा इन 14 में से सात (लखनऊ, झांसी, बांदा, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद व गोंडा) सीटों पर लड़ी थी और दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि बसपा पांच (मोहनलालगंज, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर व कैसरगंज) में लड़ी थी। दो सीट अमेठी व रायबरेली में सपा ने कांग्रेस के समर्थन में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे।
आईएनडीआईए के लिए पांचवां चरण इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें कांग्रेस की रायबरेली व अमेठी सीट का चुनाव है। सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर इस बार उनके बेटे व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव मैदान में हैं।
अमेठी में केएल शर्मा, स्मृति ईरानी को दे रहे टक्कर
वहीं, अमेठी में गांधी परिवार के बेहद करीबी किशोरी लाल शर्मा भाजपा की स्मृति ईरानी को टक्कर दे रहे हैं। पिछला चुनाव यहां से राहुल गांधी हार गए थे। कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा बनी इन दोनों सीटों को जीतने के लिए राहुल गांधी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 17 मई को यहां संयुक्त जनसभा भी करेंगे। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा यहां पर डेरा जमाए हुए हैं।
फैजाबाद सामान्य सीट होने के बावजूद सपा ने इस बार दलित कार्ड खेला है। यहां से वरिष्ठ समाजवादी नेता व नौ बार के विधायक अवधेश प्रसाद को सपा ने उतारा है। भव्य राम मंदिर बनने के बाद भाजपा भी इस सीट को जीत कर पूरे देश में संदेश देना चाहती है। यहां से भाजपा के लल्लू सिंह लगातार तीसरी जीत के लिए मैदान में हैं।
कैसरगंज सीट 1996 से 2009 तक लगातार सपा के पास रही है। इस बार सपा ने यहां से भगत राम मिश्र को चुनाव में उतारा है। कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।
चुनावी समीकरण
फतेहपुर लोकसभा सीट भी सपा के लिए नाक का सवाल बन गई है। यहां से सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल चुनाव मैदान में हैं। हालांकि, उनका टिकट तय होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का पद वापस लिए जाने से उनकी मुश्किलें थोड़ा बढ़ गई हैं।
कौशांबी से सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज के पुत्र पुष्पेंद्र सरोज चुनाव मैदान में हैं। लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर भी सपा पूरा जोर लगाए हुए हैं। 1998 से 2009 तक यह सीट लगातार सपा के पास रही है। इस बार सपा ने आरके चौधरी पर दांव लगाया है।
भाजपा के केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर हैट ट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं। कांग्रेस व सपा गठबंधन के लिए झांसी सीट भी अहम है। यहां से कांग्रेस ने अपने पूर्व मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को उतारा है। यहां मंगलवार को राहुल गांधी व अखिलेश यादव ने संयुक्त जनसभा कर आईएनडीआईए के लिए माहौल बनाने का प्रयास किया है। बाराबंकी सीट पर भी कांग्रेस व सपा गठबंधन अपनी ताकत झोंक रहा है। यहां पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, गठबंधन कितना सफल होगा, यह तो चार जून को नतीजे ही बताएंगे।
बाबा की सीट पर पोती का दांव
गोंडा लोकसभा सीट पर वर्ष 2009 में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता बेनी प्रसाद वर्मा चुनाव जीते थे। उन्होंने 2014 का चुनाव कांग्रेस के टिकट से लड़ा था और हार गए थे। अब उनकी सीट पर उनकी पोती व समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे राकेश वर्मा की बेटी श्रेया वर्मा चुनाव मैदान में हैं। श्रेया ने देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से पढ़ने के बाद दिल्ली के रामजस कालेज से इकोनामिक्स आनर्स की पढ़ाई की है।
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